कुछ लोग हैं; जो मुझ पर अफवाहों के आधार पर करते हैं शक, कैसे समझाएं उन्हें भला बिना साक्ष्य ये बोलने का तुम्हें नहीं है कोई हक़ ।। मैं खुली किताब हूँ, जो भी हूँ.. तुम्हारे सम्मुख हूँ खड़ा । नहीं है तनिक भी छल-कपट अकेला हूँ..पर हूँ, मैं सत्य पर अड़ा ।। सूरज से गर्मी की आशा, चाँद से शीतल की परिभाषा । आग से तपस की गाथा, कृषक से मेहनत की भाषा । कैसे इंकार करेगा कोई, कैसे झुठलाएगा कोई । ये भी कोई छुपने की चीज़ है, कैसे इसको छुपाएगा कोई ।। ©Babusaheb Dev #भरोसा #हिंदी #yourquote #कविता