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babusahebdev4488
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Babusaheb Dev

Begusarai (Bihar)

https://www.yourquote.in/babusahebdev2

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Babusaheb Dev

कुछ लोग हैं; जो मुझ पर 
अफवाहों के आधार पर करते हैं शक,
कैसे समझाएं उन्हें भला
बिना साक्ष्य ये बोलने का 
तुम्हें नहीं है कोई हक़ ।।

मैं खुली किताब हूँ,
जो भी हूँ.. तुम्हारे सम्मुख हूँ खड़ा ।
नहीं है तनिक भी छल-कपट
अकेला हूँ..पर हूँ, मैं सत्य पर अड़ा ।।

सूरज से गर्मी की आशा,
चाँद से शीतल की परिभाषा ।
आग से तपस की गाथा,
कृषक से मेहनत की भाषा ।

कैसे इंकार करेगा कोई,
कैसे झुठलाएगा कोई ।
ये भी कोई छुपने की चीज़ है,
कैसे इसको छुपाएगा कोई ।।

©Babusaheb Dev #भरोसा 
#हिंदी  #yourquote  #कविता
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Babusaheb Dev

कर ले जितना करना है,

मुझको परेशान।

कर ले जितना करना है,

तुझे नृत्य और गान।।

जब मेरी बारी आएगी तो,

कल-कल, छल-छल गिरेगी ज़ाम

आहिस्ता-आहिस्ता,थर-थर,थर-थर,

काँपेगी निकलने को तुझसे तेरी ही जान ।

अट्टहास लगाऊंगा मैं भी,

जब टूटेगा तेरा अभिमान।।

©Babusaheb Dev #Hindi 
#poem 

#Anhoni
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Babusaheb Dev

अब मातम आँख नही,
कलम मनाती है।

©Babusaheb Dev #हिंदी  #शायरी 

#PenPaper
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Babusaheb Dev

ओ! मेरी कुड़कुड़े,
ओ! मेरी जाने-जाना।
ओ! मेरी प्यारी honey.
आखिर क्यों.......?
तेरा-मेरा हैं दुश्मन जमाना।।

©Babusaheb Dev #हिंदी #Poetry #शायरी 

#leftalone
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Babusaheb Dev

आज फिर उस गली से गुजरा一
फिर वही मुकाम आया।
जिसे भूलना चाहा.......
मेरे होठों पे फ़िर उसका नाम आया।।

©Babusaheb Dev #हिंदी #Quotes 

#LastDay
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Babusaheb Dev

ये गड्ढ़े भर जाएँगे
एक दिन,
मिट्टियों के रिसते-रिसते一

जख्म सभी भरेंगे,
बशर्ते,
वक़्त के साथ पिसते-पिसते一

ठीक ऐसे ही लोग भूल जाएँगे सब बातें,
किंतु,
समय चक्र के साथ घिसते-घिसते一

©Babusaheb Dev #Hindi #वक़्त 

#Time
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Babusaheb Dev

जब पुत्र या पुत्री विद्रोही हो जाता हैं,
माता-पिता क्या-क्या सहते होंगे।
लोगों के ताने सुन कर भी,
कुछ नहीं उनको कहते होंगे।
अंदर ही अंदर सिहरते होंगे,
मोम की भांति पिघलते होंगे।
दुःख दिया है अपने ने,
सोचा ना था जिसे सपने में।
माँ पर क्या बितती होगी,
अंदर ही अंदर सिसकती होगी।
संतान कितना भी बड़ा विद्रोही हो,
माँ तो आखिर माँ  हैं......
अपनी संतान खोने से डरती होगी।
पिता बेचारा खुलकर रोते नहीं होंगे,
बेफ़िक्र पर वे सोते नहीं होंगे।
रह रह कर याद करते होंगे,
अब क्या-क्या सहना तोहमतें होंगे।
जीते जी वे मर से गए हैं,
अपनों से ही डर से गए हैं।
दुःखों का घड़ा सूखा पड़ा था,
अचानक सभी भर से गए हैं।

     ....... शेष ( भाग - 2 )

©Babusaheb Dev #विद्रोही_संतान
#Notzo 

#AWritersStory
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Babusaheb Dev

इतना दर्द दिया है तुमने,
तुम्हें कैसे आसानी से भूल जाऊँगा।
कागज़ थोड़ी ही हूँ मैं,
जो चंद बरसातों में घुल जाऊँगा।।

©Babusaheb Dev #नहीभूलसकता  आशीष रॉय 🇮🇳 Riⷭyⷴaͩ Raⷴjⷴpͮuͦtⷡ RJ_Keshvi Suman Zaniyan Vaishali Srivastava

#नहीभूलसकता आशीष रॉय 🇮🇳 Riⷭyⷴaͩ Raⷴjⷴpͮuͦtⷡ RJ_Keshvi Suman Zaniyan Vaishali Srivastava #शायरी

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Babusaheb Dev

सब कहते हैं一
लोगों को,
शराब का लत लगता हैं,
सिगरेट,धूम्रपान का लत लगता हैं।
कुछ को सौंदर्य का,
तो कुछ को रईसी का_____

मैं कैसा इंसान हूँ....
मुझें कविता का लत लग गया है।

©Babusaheb Dev #addicted_to_poem

#AWritersStory
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Babusaheb Dev

अजीब सी उलझन हैं आजकल क्या करें? साहेब!
लालसा लिए निंद आती हैं पर चैन ख़फा हैं साहेब!
अफ़साना तो देखिए ज़रा वक़्त का जनाब-२
जिस से प्यार करते हैं वही बेवफ़ा हैं...साहेब ।।

©Babusaheb Dev आशीष रॉय 🇮🇳 

#बेवफ़ा

आशीष रॉय 🇮🇳 #बेवफ़ा

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