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◆◆◆मतवाला◆◆◆ स्तब्ध सड़क पर मैंने उस रात, जाते उसक

◆◆◆मतवाला◆◆◆

स्तब्ध सड़क पर मैंने उस रात, जाते उसको देखा था।
क्षीण-हीन, अलसाई रात में, चला जारहा अकेला था।

दुख को खुशी से खुशी में छुपाये,खुशी का वो मेला था।
बनकर मस्त-मौला-फकीरा, कितने! ग़मो को झेला था।

दिखा रहा था पथ जीवन का, विपत्तियों का बस रेला था।
ठिठका!  जो वो मर गया, चला जो जीवन को खेला था।
 #मतवाला #matwala #philosophyoflife #shatyagashi
◆◆◆मतवाला◆◆◆

स्तब्ध सड़क पर मैंने उस रात, जाते उसको देखा था।
क्षीण-हीन, अलसाई रात में, चला जारहा अकेला था।

दुख को खुशी से खुशी में छुपाये,खुशी का वो मेला था।
बनकर मस्त-मौला-फकीरा, कितने! ग़मो को झेला था।

दिखा रहा था पथ जीवन का, विपत्तियों का बस रेला था।
ठिठका!  जो वो मर गया, चला जो जीवन को खेला था।
 #मतवाला #matwala #philosophyoflife #shatyagashi