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खामोशी छाई है हर ओर इस ज़माने में हर बेबसी को आज दर

खामोशी छाई है हर ओर इस ज़माने में
हर बेबसी को आज दर किनार कर दो।
लफ़्ज़ों के मोती सहेजे जुबां ख़ज़ाने में
दिल की ख्वाहिशों का इज़हार कर दो।
पढ़ा है जिन्हें हर बार तुम्हारी आँखों में
पलकों तले राज रहेंगें ऐतबार कर लो।
चूरा कर वक्त को बांध लिया घड़ियों में 
खत्म तुम आज वो मेरा इंतजार कर दो।
बेकरारी बढ़ रही है रफ्ता-रफ्ता सांसों में
मोहब्बत हो गई है तुम्हें इक़रार कर लो।
©अलका मिश्रा

©alka mishra
  #इजहार