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निराशा में डूबकर आशाओं को जब दिल में ही दबा देते

 निराशा में डूबकर आशाओं को जब 
दिल में ही दबा देते हैं,

ये दबी हुई आशाएं ही एक दिन 
ह्रदयघात को बढ़ा देते हैं, 

इससे पहले कि निराशा डस कर हमें, 
मचादे तबाही अपनी,

आओ इसके अस्तित्व से हम 
"नि:" शब्द को ही हटा देते हैं.!

©सुशील यादव "सांँझ"
  #साँझ #निराशा #आशा...