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शब्दों में भावना को पिरो न पाया अपने बढ़ती धड़कनों

शब्दों में भावना को पिरो न पाया
अपने बढ़ती धड़कनों को रोक न पाया
कहीं गलत न बोल दूं ये ख्याल आया
मैने कुछ कहना चाहा पर
कुछ भी कह नहीं पाया 

दिल की आवाज सुनी बहुत थी मगर
इस कंठ ने साथ दिया नहीं
इन होठों ने हिलना बंद कर दिया 
मुंह से कोई शब्द निकल न पाया
मैंने कुछ कहना चाहा पर
कुछ भी कह नहीं पाया

©Mahi jakhar
  मैंने कुछ कहना चाहा मगर कुछ कह नहीं पाया #पाया #खोया #poem #poetry #दिल #लव #सुकून  Devesh Dixit  ईsha roज़ी Jonee Saini ram singh yadav Sneh Prem Chand

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