सुनसान सड़क के किनारे सुखा एक पत्ता कुछ लोगों ने कूड़ा फेंक रखा था जिसे सूंघ रहा था आवारा एक कुत्ता सड़क टूटी फूटी कुछ जानी पहचानी इमारतें थीं याद आ रही कुछ बातें बड़ी पुरानी थी रिक्शे से उतर पहुंच गया था मैं कहां? अपने घर, मेरा बचपन बीता था जहां। छोटी छोटी चीजों से भी कितना आनंद आता था प्लास्टिक की गेंद थी एक लकड़ा बैट बन जाता था घर छोटा था जमीन पर सोते खाते थे कभी कोई आ जाए तो बिछौने कम पड़ जाते थे ऐसा नहीं है की महत्वाकांक्षाये खत्म हो गई थी अभाव में भी खुशी ढूढने में महारत मिल गई थी एक मैच जीतते तो नाचते गाते थे समोसा ट्रॉफी होती , मिठायी बांट के खाते थे शायद ये अभाव ही कारण था खुशी का क्योंकि आज धन ,उपकरण तो बहुत है, बस इंतजार है नदारद हंसी का। ©mautila registan #nojohindi #nojatoquotes #Childhood #Nostalgia #Happiness #Drown