एक मुट्ठी आसमान, सबको जरूरी यहां। बड़े हो कर छोटों को, सताया नहीं करते। दीन व गरीबों को भी, जीने का है हक यहां। हक उनका छीन के, रुलाया नहीं करते। पुरुषवादी सोच जो, नारियों का हक छीने। यहां ऐसी कुरीतियां, चलाया नहीं करते। कलुषित विचारों वाले, भेड़िए अधर्मी नींच। ऐसे नर मनुष्य जी , कहाया नहीं करते। 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 28 🎀 शीर्षक:- ""एक मुट्ठी आसमान"" 🎀 शब्द सीमा नहीं है। 🎀 इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।