चांद कुछ नहीं लगता रिश्ते में हमारा, जागता है रात भर न जाने किसके इंतज़ार में। अब इस छत के अलावा कुछ नहीं लगता हमारा, ये दीवार ही खड़ी है बस हमारे इज़हार में। मिरा सफ़र उसकी मंजिलों तक का नहीं लगता, बेवजह साथ में मैं चलता जा रहा हूं। मुझे बारिशों का बादलों से बिछड़ना नहीं खलता, तनहा उसकी याद में मैं रोए जा रहा हूं। अजनबी छोड़ो मिरे अपने भी अपने नहीं हुए, मैं भरोसा तुम पर कैसे कर लूं। मिरे अधूरे ख़त आज भी पूरे नहीं हुए, मैं दराजों में फिर उन्हें कैसे रख लूं। कुछ किस्सों से उदास न हुआ करो तुम, भ्रम की दुनिया में आईनों का साथ दिया करो तुम। @k_a_a_v_i_s_h #thoughts #life #yourquote #ghazal #sonnet #urdu #hibdishayari #poetry