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और सरगम के राग सा मैं खोने लगा उसमें, उसकी आंखें इ

और सरगम के राग सा मैं खोने लगा उसमें,
उसकी आंखें इक तस्तरी सपने संजोने लगा उसमें,
तेरा नाम का ख्याल आना आदत सा हो गया था,
लिहाजा मुस्कुरा के रोज सोने लगा उसमें।

©Abhiraj Kumar लिहाज़ा।
और सरगम के राग सा मैं खोने लगा उसमें,
उसकी आंखें इक तस्तरी सपने संजोने लगा उसमें,
तेरा नाम का ख्याल आना आदत सा हो गया था,
लिहाजा मुस्कुरा के रोज सोने लगा उसमें।

©Abhiraj Kumar लिहाज़ा।

लिहाज़ा। #शायरी