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चाँदनी रात हो और नदी का किनारा हो, जुस्तज

चाँदनी  रात   हो  और  नदी  का   किनारा  हो,
जुस्तजू  हो   तेरी  ना   कोई   और  गवारा  हो।
तनहाई  मयस्सर  हो  तो  तेरी  तरह  प्यारा हो,
तेरी यादें फकत डूबते को तिनके का सहारा हो। यह प्रतियोगिता संख्या - 9 है
साहित्य कक्ष में आप सभी कवि-कवित्री का स्वागत  🙏🏻 है।
 
चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें

🅽🅾🆃🅴 - अगर कोई सारे नियम और शर्तों को ध्यान में रखकर Collab नहीं करता है। उसकी रचना को प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा।

#collabchallenge
चाँदनी  रात   हो  और  नदी  का   किनारा  हो,
जुस्तजू  हो   तेरी  ना   कोई   और  गवारा  हो।
तनहाई  मयस्सर  हो  तो  तेरी  तरह  प्यारा हो,
तेरी यादें फकत डूबते को तिनके का सहारा हो। यह प्रतियोगिता संख्या - 9 है
साहित्य कक्ष में आप सभी कवि-कवित्री का स्वागत  🙏🏻 है।
 
चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें

🅽🅾🆃🅴 - अगर कोई सारे नियम और शर्तों को ध्यान में रखकर Collab नहीं करता है। उसकी रचना को प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा।

#collabchallenge