न था न सुनी थी इतनी हाहाकार कभी, न थी आवाम इतनी लाचार कभी। न था कभी सत्ता का लोभ इतना, न थी ऐसी निर्दयी सरकार कभी। न था नृप कोई आत्ममुग्ध इतना, न थे इतने पक्षपाती अखबार कभी। न थे इतने अंधे किसी भी राज में, न थे इतने चाटुकार पत्रकार कभी! न था इतना वैमनस्य जनों के बीच, न था इतना घृणित चुनाव-प्रचार कभी। न थी कभी इतनी जुमलेबाजी; न थे नेता इतने झूठे, मक्कार कभी। न था इतना कभी अतिविश्वास, न थी पूंजीपतियों की सरकार कभी। न थी कभी इतनी हवाबाजी, न था इतना बेसुध राजदरबार कभी। न बिकी थी कभी इतनी सरकारी कंपनियां, न थे गिने-चुने खरीदार कभी। न बनते थे कभी सवाली देशद्रोही, न था डर का इतना कारोबार कभी। न थे स्तरहीन कुतर्क कभी इतने, न था एंबुलेंस पर बालू सवार कभी। न मयस्सर थी साइकिल कभी लाशों को, न था मौत के लिए इंतजार कभी। #selfishworld #dirtypolitics #coronavirus #selfishleaders