आज ज़ो दौर चल रहा हैँ वो व्यक्तित्व और विचारों की चोरी का दौर चल रहा हैँ सच बोलना सोचना उठना बैठना सब सीखा हुआ हैँ... याने चोरी किया हुआ हैँ. क्या हमारा कुछ भी हमारा हैँ? जिसे हम कह सके कि सीखा हुआ नही जिसे हम unlearned कह सके कि ये ... किसी से लिया हुआ नही... किकह सके कि ये हम ही हैँ ©Parasram Arora unlearned......