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Love #ग़ज़ल_غزل: २५५ (१२२२-१२२२-१२२२-१२२२) ------

Love  #ग़ज़ल_غزل: २५५ (१२२२-१२२२-१२२२-१२२२)
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तेरे सादा सिफ़त चेहरे में यूँ ज़ेबाई रहती है 
कि जैसे दूध के अंदर छिपी चिकनाई रहती है //१

तुम्हें जो देख लेता हूँ मैं अपने मन की आँखों से
तो पूरी रात मेरी ख़ुद ब ख़ुद गरमाई रहती है //२

अमीरों की इमारत से निकाली जा चुकी है वो
सुना है झोपड़ी में आजकल सच्चाई रहती है //३

बँटा है मुल्क पर अब भी ये सच है पार सरहद के
किसी की दूर की मौसी, किसी की ताई रहती है //४

न जाने किसने तोड़ा है ग़ज़ल का दिल कि क्या बोलूँ
वो मेरे पास आकर भी बहुत उकताई रहती है //५

बहुत हस्सास होकर पेश आना 'राज़' तुम उससे
मिलन की रात हर लड़की बहुत घबराई रहती है //६

#राज़_नवादवी©
Love  #ग़ज़ल_غزل: २५५ (१२२२-१२२२-१२२२-१२२२)
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तेरे सादा सिफ़त चेहरे में यूँ ज़ेबाई रहती है 
कि जैसे दूध के अंदर छिपी चिकनाई रहती है //१

तुम्हें जो देख लेता हूँ मैं अपने मन की आँखों से
तो पूरी रात मेरी ख़ुद ब ख़ुद गरमाई रहती है //२

अमीरों की इमारत से निकाली जा चुकी है वो
सुना है झोपड़ी में आजकल सच्चाई रहती है //३

बँटा है मुल्क पर अब भी ये सच है पार सरहद के
किसी की दूर की मौसी, किसी की ताई रहती है //४

न जाने किसने तोड़ा है ग़ज़ल का दिल कि क्या बोलूँ
वो मेरे पास आकर भी बहुत उकताई रहती है //५

बहुत हस्सास होकर पेश आना 'राज़' तुम उससे
मिलन की रात हर लड़की बहुत घबराई रहती है //६

#राज़_नवादवी©
raznawadwi7818

Raz Nawadwi

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