देश के कई हिस्सों में बेमौसम बरसात की खबर है जहां चुनाव होने वाले हैं वहां दो ही बरसात हो रही है बादलों का रूप धरकर सब नेता अपने चुनावी क्षेत्रों में बरस रहे हैं आम आदमी बरसती और लोग तो फिर भी बच सकता है पर चुनावी गोलों की जद में आए बिना नहीं रह सकता नेताजी महल में बैठकर महंगाई से संबद्ध जनता को कई बार संबंधी चुके हैं पर वो ही वोट की खातिर उन्हें गरीबों के बारे में सरल लीनियर सोचना शुरू कर दी इस बार नेताजी व का ही सीरियस है वह पहले भी सोचते रहे हैं पहले वक्त में उनकी दृढ़ता थोड़ा बढ़ गई है गरीब है तो योजनाएं हैं योजनाएं हैं तो सोच है सोच है तो वह भी है इस बीच अगर चुनाव आ गए तो क्या हुआ इस सोच को वह रोक तो नहीं सकते ऐसा नहीं है कि केवल वही सोचते हैं गरीब पर ही नेता का अधिकार है उसका वोट सबके लिए खुला है गरीबों के कल्याण की सोच विश्व व्यापी और तर्क है कि चुनाव के आने से नहीं रोक सकता सरकार ने इस बार तय किया है कि मैं गरीब का कल्याण करें रहेगी इसकी गरीब सोच में पड़ जाएंगे आशंका है कि गरीबों का भी उनसे ना जाए और सरकार ने भरोसा दिया है कि उनका राशन कार्ड कभी बंद नहीं होगा वह कागजों पर भी गरीब बने रहेंगे इस बीच में आ चुका है सरकार ने बेहतर और विपक्ष से महंगाई बढ़ाने की बात मुझे जब खुद से समझने की दिक्कत हुई तो अखबार और टीवी चलाने की शरण ली इस बारे में सरकार से सहमत और विपक्ष की वह कह रही है कि जूते और चार्जर सस्ते हो गए चुनाव तो अभी भी खूब सस्ती हुई है यह दोनों आम आदमी से ज्यादा ताल्लुक रखती हैं ©Ek villain #गरीबों के कल्याण की चुनावी होड़ #proposeday