सरसी छन्द गीत विषय खत तुम्हें एक खत मैं लिख भेजूँ , दिल में है आरमान । छूकर जिनके चरणों को , मानी हूँ भगवान ।। इक खत उनको मैं लिख भेजूँ .... आज सजन को मैं हूँ लिखती , शत-शत देख प्रणाम । लिख भेजी हूँ खत में उनको , अब मैं राधेश्याम ।। यह खत जब तुम पढ़ने बैठो , आए मेरा ध्यान । मैं तो फूलो से हूँ नाजुक , माँगों मत बलिदान ।। आकर अपने शरण लगाओ , ओ मेरे भगवान। इक खत उनको मैं लिख भेजूँ ऐसे मत ठुकराओ साजन , कर लो आज कबूल । ऐसी भी क्या भूल हुई है , हमे गये हो भूल ।। हाथ-जोड़ कर करूँ विनय मैं , छोड़ो अब वह देश । मिला तुम्हें तो होगा प्रियतम , मेरा यह संदेश आकर अब स्वीकार करो , बैठी है नादान । इक खत उनको मैं लिख भेजूँ.... क्या दिन थे वे संग तुम्हारे , करते नैना बैन । छलक रहे अब नैन वही तो , आये कैसे चैन ।। कुछ तो आस बँधाओ स्वामी , लिख भेजो खत एक । जिसमें छलके प्रीत तुम्हारी , अवसर दिखे अनेक ।। एक तुम्हारी पगड़ी ही अब , पास रही पहचान । इक खत उनको मैं लिख भेजूँ ... इक खत उनको मैं लिख भेजूँ , दिल में है अरमान । छूकर जिनके चरणों को , मानी हूँ भगवान ।। ०८/०८/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी छन्द गीत विषय खत तुम्हें एक खत मैं लिख भेजूँ , दिल में है आरमान । छूकर जिनके चरणों को , मानी हूँ भगवान ।। इक खत उनको मैं लिख भेजूँ .... आज सजन को मैं हूँ लिखती , शत-शत देख प्रणाम ।