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डर कुछ को सच कहते हुए डर लगता है। कुछ को झूठ कहते

डर 
कुछ को सच कहते हुए डर लगता है।
कुछ को झूठ कहते हुए डर लगता है।
बड़ा अजीब है ये डर का दानव
डर को डर कहते हुए डर लगता है।
किसने रख दिया है ये डर सिराहने पर
अब तो अधेरों और उजालों में भी डर लगता है।
थरथर काँपता है दिल दिमाग तन भी
जिनको डर का दानव डसता है।
कहीं भूत प्रेत सफलता असफलता न्याय अन्याय
डर डराने के लिये कई रूप धरता है 
अपनी देह में न दो जगह इसे
नहीं तो ये दीमक बन तन को खोखला कर देता है
रखो स्वच्छ,उज्वल, सदा मन और दिल 
ऐसे घर में डर पल भर भी न टिकता है। 
यहाँ डर को डटकर रहते हुए डर लगता है।

पारुल शर्मी कुछ को सच कहते हुए डर लगता है।
कुछ को झूठ कहते हुए डर लगता है।
बड़ा अजीब है ये डर का दानव
डर को डर कहते हुए डर लगता है।
किसने रख दिया है ये डर सिराहने पर
अब तो अधेरों और उजालों में भी डर लगता है।
थरथर काँपता है दिल दिमाग तन भी
जिनको डर का दानव डसता है।
डर 
कुछ को सच कहते हुए डर लगता है।
कुछ को झूठ कहते हुए डर लगता है।
बड़ा अजीब है ये डर का दानव
डर को डर कहते हुए डर लगता है।
किसने रख दिया है ये डर सिराहने पर
अब तो अधेरों और उजालों में भी डर लगता है।
थरथर काँपता है दिल दिमाग तन भी
जिनको डर का दानव डसता है।
कहीं भूत प्रेत सफलता असफलता न्याय अन्याय
डर डराने के लिये कई रूप धरता है 
अपनी देह में न दो जगह इसे
नहीं तो ये दीमक बन तन को खोखला कर देता है
रखो स्वच्छ,उज्वल, सदा मन और दिल 
ऐसे घर में डर पल भर भी न टिकता है। 
यहाँ डर को डटकर रहते हुए डर लगता है।

पारुल शर्मी कुछ को सच कहते हुए डर लगता है।
कुछ को झूठ कहते हुए डर लगता है।
बड़ा अजीब है ये डर का दानव
डर को डर कहते हुए डर लगता है।
किसने रख दिया है ये डर सिराहने पर
अब तो अधेरों और उजालों में भी डर लगता है।
थरथर काँपता है दिल दिमाग तन भी
जिनको डर का दानव डसता है।
parulsharma3727

Parul Sharma

New Creator

कुछ को सच कहते हुए डर लगता है। कुछ को झूठ कहते हुए डर लगता है। बड़ा अजीब है ये डर का दानव डर को डर कहते हुए डर लगता है। किसने रख दिया है ये डर सिराहने पर अब तो अधेरों और उजालों में भी डर लगता है। थरथर काँपता है दिल दिमाग तन भी जिनको डर का दानव डसता है।