वक्त के निजाम में कुछ कहानी अब भी बाकी इतनी खलिश के बाद भी थोड़ी रवानी अभी बाकी मिलते मिलते रह गया जो वक्त में पेबंद है उस छोटी सी खुशी की एक चाबी अब भी बाकी आए कितने ही शहंशाह इस जमीं की कोख पर मिट गए वो जो खुद को समझते थे रह गुजर उनके मिटते खाक की एक निशानी अभी बाकी वक्त के निजाम में कुछ कहानी अब भी बाकी जिसके दम से है बसर उस खुदा का खेल है यह हाथी गिराता है जो चींटी इनमें क्या है मेल श्यह। सीख ले तू जहां से ए आदर्श जितना तेरा वक्त बाकी। वक्त के निजाम में कुछ कहानी अब भी बाकी छूट गया जो यह पिंजरा फिर कभी मिल पाएगा क्या मिट गया सो क्या तू लौट के फिर आएगा क्या हैं गए बहुतो मगर कुछ की निशानी अब भी बाकी वक्त के निजाम पर कुछ कहानी अब भी बाकी