वो एक लम्हा, जो तुम्हारे साथ बिताया था कभी... अब भूल गई क्या ? तुमने भी हमसे दिल लगाया था कभी... वो तेरी मासूमियत, अपनों से भी लड़ गया था कभी... सिर्फ तुम्हारे लिए ! तुम्हें पाकर बहुत कुछ खोया था कभी.. वो अंधेरी रातें, तुम्हें सीने से लगाया था कभी... आज चुप क्यों है ? रुठने पर, न जाने कितनी बार मनाया था कभी... वो सुबह की भोर, बस एक ही गीत गुनगुनाया था कभी... जो आज तू खुश है ! उस खुशी को भगवान से लड़कर लाया था कभी... वो आंँखों के आंँसू, जिन्हे न पोंछ पाया हूंँ कभी, क्या तुझे आभास है ? तुम्हारे जाने के बाद अंदर से न मुस्कुराया हूंँ कभी... #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है.. 🎀 Challenge-197 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।