#विध्वंस दुश्मन ने तोड़े लाख आस्था स्थल, पर..समय की परिधि बड़ी ही चंचल, काल की करामात तो देखलो.. उस विध्वंस की फिर हो रही हलचल। किस्से कहानियाँ हुई चलाचल, अधूरी स्मृतियाँ करे कौतूहल, कायनात के परिणाम देखलो.. उस विध्वंस की फिर हो रही हलचल। अब उठ खड़े हुये परिंदे घायल, अब दबाया धर्म लहू रहा उबल, पूर्वजों के प्रबंध तो देखलो.. उस विध्वंस की फिर हो रही हलचल, उस विध्वंस की फिर हो रही हलचल। ©Anand Dadhich #विध्वंस #ज्ञानवापी #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindipoetry #Thoughts