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तुम अर्धसत्य कहते क्यों हो मिथ्या का घूँट पीते क्य

तुम अर्धसत्य कहते क्यों हो
मिथ्या का घूँट पीते क्यों हो
निंदा रस का सेवन करके
मानस मलिन करते क्यों हो 
तुम अर्धसत्य कहते क्यों हो

माना सच्चाई पर चलना
बड़ा ही मुश्किल होता है
इधर- उधर से हर जगह से
मुश्किलों का मेला होता है
निंदा का पुतला बनना 
तुम ऐसे कर्म करते क्यों हो 
इंद्रियों के वश मे होकर के 
तुम स्वयं अनिष्ट करते क्यों हो 
तुम अर्धसत्य............ 

काया तो सबकी आला है
पर अंतःकरण तो पोला है
यह सत्य सभी को ज्ञात है
फिर भी तो सब अज्ञात हैं
इंद्रजाल मे फंसना 
माया का गान करते क्यों हो 
सत्य से अवगत होकर के 
तुम मतिभ्रम मे फँसते क्यों हो 
तुम अर्धसत्य..........

©Shreya Garg
  तुम अर्धसत्य #Saffron
shreyagarg4857

Shreya Garg

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तुम अर्धसत्य #Saffron #कविता

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