सुबह से हिचकी रुक ही नहीं रही कोई नब्द नासूर के नस हिला गया हां याद मुझे है वसंत पंचमी वाले दिन जो बांधी थी तूने रंग बसंती वाली साड़ी अब तो उसके फॉल में कोई और फैला है ना कतरन सा अलग किया जिससे था मुझे देखो ना देखते देखते ही एक दशक बीत गया दस और बीत जायेंगे और किसी दिन हम भी गुजर जायेंगे ,तो गुजारिश है आने वाले मुहब्बतो से की कभी मुक्कमल न कर देना ये दास्तां अधूरा ही अच्छा है जिसकी शुरुवात भी अधूरे अक्षर से है की अच्छा लगेगा तुम्हे की कभी स्याही में उतरो, प्याले में उतरो, हाले में आओ या धुआं सा गुजरो बजाय की बैठ बगल में सुनो बकवास हमारी - गीतेय... ©rritesh209 #CityWinter नब्द नासूर -पुराने घाव #vasantpanchmi #hichki #pyarishqmohabbat #yqdidi #yqhindi #yqquotes #yqbaba Read my thoughts on YourQuote app at https://www.yourquote.in/ritesh-ranjan-dvzb/quotes/subh-se-hickii-ruk-hii-nhiin-rhii-koii-nbd-naasuur-ke-ns-hai-cp46sk