पापा की परी मुहब्बत को वालिद की रजामंदी भले न दो...खुदा को मंजूर होगा..किसी के बिस्तर की सलवटों का हिस्सा बिना उनकी दुआओं के मत बनना ... मासूम कली थी तब से..तुम गुरुर हो उन बूढ़ी आंखों का... उनकी आखिरी सांस तक उस गुरुर को मत मिटने देना... #pqpakipari