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, मिले थे कभी तोहफे में, मोहब्बत के गमों के दर्द क

, मिले थे कभी तोहफे में,
मोहब्बत के गमों के दर्द के नासूर।
अमावस की काली रात की 
तन्हाई में ,जल जल के दुखते रहते थे।

कभी अंधेरे ,कभी उजाले 
बिस्तर पर पड़े पड़े करवटें बदलते रहते थे।
कभी चादर ,कभी तकिया
 में, मुंह छुपा के चुपचाप सिसकते रहते थे।

किसी ने दर्द को सहला के,
 हाथ से पूछ दिए आशु, जो पहले रहते थे।
चैन आया है दिल को 
उनके मिलने से, वरना अंधेरे में पड़े रहते थे।

©Anuj Ray
  # मिले हैं तोहफ़े में,,
anujray7003

Anuj Ray

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# मिले हैं तोहफ़े में,, #शायरी

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