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हजारों खामोशियो की वजह होती है चाहत किसी की मुस्कर

हजारों खामोशियो की वजह होती है चाहत किसी की
मुस्कराना सीखकर फिर से भूल जाना कोई खेल नहीं
पत्थर भी चिंगारी निकालना बंद कर देते हैं एक दौर में
हर रोज सितम खा ले जिंदगी है साहब कोई रखैल नहीं

©लेख की कलम
हजारों खामोशियो की वजह होती है चाहत किसी की
मुस्कराना सीखकर फिर से भूल जाना कोई खेल नहीं
पत्थर भी चिंगारी निकालना बंद कर देते हैं एक दौर में
हर रोज सितम खा ले जिंदगी है साहब कोई रखैल नहीं

©लेख की कलम