यातनाओं के भँवर से कोई कश्ती पार कर दे, कठिनतम है घड़ी मौला कोई चमत्कार कर दे, बुझ गए उम्मीद के तारे ज़रा सा टिम-टिमाकर, अब मुझे दरकार लौ की ख़त्म इंतज़ार कर दे, छिप गया है चाँद काले बादलों का ओट पाकर, मिटाकर संशय हृदय में ज्ञान का उजियार कर दे, टूट जाए हौसला जब वक़्त लेता है परीक्षा, निराशा के काट बंधन प्रेम का संचार कर दे, जख़्म दिल का भर न पाये लगे जब आघात गहरा, विकल मन के तार सारे दर्द का उपचार कर दे, भाग्य या सौभाग्य दोनों कर्म फल का है नतीजा, हो न ऐसी मुसीबत जो हरतरफ लाचार कर दे, बड़ी जद्दोजहद करनी पड़े गुंजन ज़िन्दगी जब, जरूरत के समय ही मुँह फेर ले इन्कार कर दे, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #ख़त्म इन्तज़ार कर दे#