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जीने की है राहें बहुत, जीना ही भुल गये। खूले है मय

जीने की है राहें बहुत, जीना ही भुल गये।
खूले है मयखाने,मगर पीना ही भुल गये।

आस नहीं है रत्तीभर भी उबरने की,
फंसे हैं मझधार मे ,नाव खेना ही भुल गये।

याद आती है  उनकी बहुत मगर,
शायद उनसे कुछ कहना भुल गये।

गुफ्तगू करनी तो थी बहुत,
मगर बात करना ही भुल गये।

काटती है तन्हाइयां हमको बहुत,
अब तो उनसे मिलना ही भुल गये।

 चले है कुछ इस तरह से,
थक गये है मगर ,रूकना ही भूल गये। 
                            ...........आनन्द #आनन्द
#जिंदगी
जीने की है राहें बहुत, जीना ही भुल गये।
खूले है मयखाने,मगर पीना ही भुल गये।

आस नहीं है रत्तीभर भी उबरने की,
फंसे हैं मझधार मे ,नाव खेना ही भुल गये।

याद आती है  उनकी बहुत मगर,
शायद उनसे कुछ कहना भुल गये।

गुफ्तगू करनी तो थी बहुत,
मगर बात करना ही भुल गये।

काटती है तन्हाइयां हमको बहुत,
अब तो उनसे मिलना ही भुल गये।

 चले है कुछ इस तरह से,
थक गये है मगर ,रूकना ही भूल गये। 
                            ...........आनन्द #आनन्द
#जिंदगी