ये जो हम हर किसी को पैगाम भेजा करते हैं सभी को ये जो हम सलाम भैजा करते हैं नहीं जानता कोई कि तन्हाईयों से परेशां हूँ मैं हर किसी से साथ देने की फरियाद भैजा करते हैं कोई तो मिले जो महबूब हो मेरी तमाम उम्र का लाख जख्मों को छिपाकर हम मुस्कान भैजा करते हैं कोई तो सुनो इस दिल-ए-नादान की पुकार हम इसपे अपने लाखों अरमान भैजा करते हैं पैगाम भेजा करते हैं