" बहुत शिकायतें लेकर बैठ गई है जिंदगी
जिंदगी है कि हमें बता रही है कि तुम जहां चले हो वहां काबिल नहीं हो
मैं चला था मैं रुका था मुझे सब याद है
आखिर में बीमार था लगता है कोई फरियाद है "
उठती हुई चिंगारियां ने अंधेरा कर रखा है
मैं चला था जख्मी पांंव सवेरा कर रखा है