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इस चकाचौंध भरी दुनिया में हम कही खो से गए है , हम

इस चकाचौंध भरी दुनिया में हम कही खो  से गए है ,
हम जिंदगी को जीना ही भूल गए है ,
टिक टिक टिक टिक, चले जा रहे है, घड़ी की सुइयों की तरह ,
पर अपनों को वक़्त देना भूल गए है ,
मैट्रो सी जिंदगी हो गयी है,
इस पल यहां, उस पल वहां,
ठहरती ही नहीं है,
इस स्मार्ट जिंदगी में सब कुछ मिलता है आसानी से ,
पर हम सुकून से जीना भूल गए है ,
ये जंगल है या सर्कस , किसे पता ,
हम इंसान से जानवर बनना सीख गए है ,
इस चकाचौंध भरी दुनिया में हम कही खो से गए है|
किसी पुरानी रफ़ कॉपी के पन्नो से रिश्ते हो गए है ,
किसे वक़्त है एक शाम मुड़कर उन्हें पढ़ ले ,
रिश्तों की तो बात छोड़ों ,यहां जज़्बात भी खोखले हो गए है ,
दौलत का ऐसा नशा चढ़ा है , अपने सिवा कोई दिखता कहाँ है ,
सीधी साधी ये जिंदगी जो अक्सर खुशियां अपनों में बांटती थी ,
वो अब खुद ही खुशियों का रास्ता भूल गयी है ,
इस चकाचौंध भरी दुनियां में हम कहीं खो से गए है ,
हम जिंदगी को जीना ही भूल गए है |
sonamkuril
l #जिंदगी को जीना भूल गए है 

इस चकाचौंध भरी दुनिया में हम कही खो  से गए है ,
हम जिंदगी को जीना ही भूल गए है ,
टिक टिक टिक टिक, चले जा रहे है, घड़ी की सुइयों की तरह ,
पर अपनों को वक़्त देना भूल गए है ,
मैट्रो सी जिंदगी हो गयी है,
इस पल यहां, उस पल वहां,
इस चकाचौंध भरी दुनिया में हम कही खो  से गए है ,
हम जिंदगी को जीना ही भूल गए है ,
टिक टिक टिक टिक, चले जा रहे है, घड़ी की सुइयों की तरह ,
पर अपनों को वक़्त देना भूल गए है ,
मैट्रो सी जिंदगी हो गयी है,
इस पल यहां, उस पल वहां,
ठहरती ही नहीं है,
इस स्मार्ट जिंदगी में सब कुछ मिलता है आसानी से ,
पर हम सुकून से जीना भूल गए है ,
ये जंगल है या सर्कस , किसे पता ,
हम इंसान से जानवर बनना सीख गए है ,
इस चकाचौंध भरी दुनिया में हम कही खो से गए है|
किसी पुरानी रफ़ कॉपी के पन्नो से रिश्ते हो गए है ,
किसे वक़्त है एक शाम मुड़कर उन्हें पढ़ ले ,
रिश्तों की तो बात छोड़ों ,यहां जज़्बात भी खोखले हो गए है ,
दौलत का ऐसा नशा चढ़ा है , अपने सिवा कोई दिखता कहाँ है ,
सीधी साधी ये जिंदगी जो अक्सर खुशियां अपनों में बांटती थी ,
वो अब खुद ही खुशियों का रास्ता भूल गयी है ,
इस चकाचौंध भरी दुनियां में हम कहीं खो से गए है ,
हम जिंदगी को जीना ही भूल गए है |
sonamkuril
l #जिंदगी को जीना भूल गए है 

इस चकाचौंध भरी दुनिया में हम कही खो  से गए है ,
हम जिंदगी को जीना ही भूल गए है ,
टिक टिक टिक टिक, चले जा रहे है, घड़ी की सुइयों की तरह ,
पर अपनों को वक़्त देना भूल गए है ,
मैट्रो सी जिंदगी हो गयी है,
इस पल यहां, उस पल वहां,
sonamkuril1938

Sonam kuril

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