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हूँ शब्दों का व्यापारी, चला जाता हूँ परदेश न जग मे

हूँ शब्दों का व्यापारी, चला जाता हूँ परदेश
न जग मेरा न ठग मेरा, है दुनियाँ दो पल का डेरा
तू खोज रहा निशदिन मायाजाल में न जाने क्या-क्या
न ये घर तेरा न ये घर मेरा
हूँ शब्दों का व्यापारी, चला जाता हूँ परदेश

©Death_Lover
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