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इस नयन में बसी एक छवि की चुभन वह चुभन भी है कितना

इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे
उसके आंखो के ऊपर जो जुल्फें उड़े
उन जुल्फों का मचलना सुहाना लगे

उनकी आंखें तकी फिर झुकी रह गई
जो उठी इस कदर कातिलाना लगे
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे1

उनकी खुशबू से कई फूल शर्मा गए
सांसे उनकी मधु का खज़ाना लगे
अधर... से प्रियस्वादु ऐसे सजे थे
जैसे कोई भंवर का ठिकाना लगे

वाणी की यह गति तो गति कर गई
गोद बैकुंठ का आशियाना लगे
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे2

कि है बात यह एक शुभ यामिनी की
जवां थी निशा और जवां कर गई
रहा कुछ ना बस में हम ऐसे मिले, 
थी जो दिल की बिमारी, दवा कर गई

उसके मिलने का ऐसा हुआ जो असर 
सीधा साधा बेगाना अब दीवाना लगे
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे3

जो बीता समय छट गए सब गगन
गैर थी यामिनी गैर था वह चमन
इस कदर बातों ने भी किनारा किया
हम किनारे रहे वह कहीं थे मगन

सपने हमको दिखाकर, स्वपन हो गए
आंखो की भी चुभन अब बहाना लगे
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे।4

खैर बांतों का वह एक अलग दौर था
मांग थी वह समय कि ना कुछ और था
कर्म के दौर में भाग्य का भी मिलन
है जरूरी यही  हर तरफ शोर था

नए सपने लिए नए अरमानों को
जमा ने में अब तो ज़माना लगे
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे।।5
   
          Aakash Dwivedi ✍️

©Aakash Dwivedi #इश्क #Love #प्यार #दोस्ती #Like #AakashDwivedi #कविता #कहानी #thought 

#togetherforever
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे
उसके आंखो के ऊपर जो जुल्फें उड़े
उन जुल्फों का मचलना सुहाना लगे

उनकी आंखें तकी फिर झुकी रह गई
जो उठी इस कदर कातिलाना लगे
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे1

उनकी खुशबू से कई फूल शर्मा गए
सांसे उनकी मधु का खज़ाना लगे
अधर... से प्रियस्वादु ऐसे सजे थे
जैसे कोई भंवर का ठिकाना लगे

वाणी की यह गति तो गति कर गई
गोद बैकुंठ का आशियाना लगे
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे2

कि है बात यह एक शुभ यामिनी की
जवां थी निशा और जवां कर गई
रहा कुछ ना बस में हम ऐसे मिले, 
थी जो दिल की बिमारी, दवा कर गई

उसके मिलने का ऐसा हुआ जो असर 
सीधा साधा बेगाना अब दीवाना लगे
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे3

जो बीता समय छट गए सब गगन
गैर थी यामिनी गैर था वह चमन
इस कदर बातों ने भी किनारा किया
हम किनारे रहे वह कहीं थे मगन

सपने हमको दिखाकर, स्वपन हो गए
आंखो की भी चुभन अब बहाना लगे
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे।4

खैर बांतों का वह एक अलग दौर था
मांग थी वह समय कि ना कुछ और था
कर्म के दौर में भाग्य का भी मिलन
है जरूरी यही  हर तरफ शोर था

नए सपने लिए नए अरमानों को
जमा ने में अब तो ज़माना लगे
इस नयन में बसी एक छवि की चुभन
वह चुभन भी है कितना सुहाना लगे।।5
   
          Aakash Dwivedi ✍️

©Aakash Dwivedi #इश्क #Love #प्यार #दोस्ती #Like #AakashDwivedi #कविता #कहानी #thought 

#togetherforever