आज होली के रंग बिख़रे हैं, पर तुम्हारा संग नहीं है। खुशियों से रिश्ते निख़रे हैं, पर दिल की वह उमंग नहीं है। कहने को यह उत्सव है प्यारा, पर मेरे यादों को भंग किए है। आज भी खेलती हूँ होली , पर अब वह तरंग नहीं है। होली रंगों का ही नहीं,प्यार का भी उत्सव है। सारे गिले शिकवे भुला कर ख़ुशी से होली मनाएे। happy holi