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छोड़ चले हम तेरा शहर अब अब न वापिस आएँगे, क्या दिन

छोड़ चले हम तेरा शहर अब
अब न वापिस आएँगे,
क्या दिन थे वो सावन के जब 
रोज़ तुम्हे हम देखा करते थे ,
दुनिया की नजरें हम पर टिकी थी
बस ही हमारी तुम पर टिकी थी,
आ ओर बता जा कैसे जिये हम 
कैसे मरे अब बिन तेरे बिन हम,
छोड़ चले हम तेरा शहर अब 
अब न वापस आएँगे,
सोचता ही मैं रहता सब रात भर ये 
ना जी पाऊं, बिन तेरे बिन मैं,
छोड़......................................
................. आएंगे,
लिखना तो चाहु, पूरी रात भर मैं,
रुक मैं जाऊ ,बस सुबह के लिए,
छोड़.....................................
...................आएंगे।। I wrote this poem before. 1 month ago
छोड़ चले हम तेरा शहर अब
अब न वापिस आएँगे,
क्या दिन थे वो सावन के जब 
रोज़ तुम्हे हम देखा करते थे ,
दुनिया की नजरें हम पर टिकी थी
बस ही हमारी तुम पर टिकी थी,
आ ओर बता जा कैसे जिये हम 
कैसे मरे अब बिन तेरे बिन हम,
छोड़ चले हम तेरा शहर अब 
अब न वापस आएँगे,
सोचता ही मैं रहता सब रात भर ये 
ना जी पाऊं, बिन तेरे बिन मैं,
छोड़......................................
................. आएंगे,
लिखना तो चाहु, पूरी रात भर मैं,
रुक मैं जाऊ ,बस सुबह के लिए,
छोड़.....................................
...................आएंगे।। I wrote this poem before. 1 month ago