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क्या लिखूँ क्या लिखूँ क्या क्या लिखूँ तू बता, ग

क्या लिखूँ 

 क्या लिखूँ क्या क्या लिखूँ तू बता,
गोल मोल लिख के निकल जाऊ,
या तेरा नाम लेके तेरी बदनामी लिखूँ,
होठो से पिया आंखो का पानी लिखूँ,
जिसे चूमे एक अरसा हुआ तेरी वो पेशानी लिखूँ, 
बेशर्म होके बंद कमरे की कहानी लिखूँ,
पढ़ने वाले चटकारे ले सिर्फ जिस्मानी लिखूँ,
या जैसा था वो इश्क रूहानी लिखूँ,
पन्ने मे समाएगा नही हुस्न और इश्क तेरा,
सोचता हूँ तुझ पे पूरी जिंदगानी लिखूँ !!!

©Dhruv....
  क्या लिखूँ....

क्या लिखूँ.... #शायरी

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