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चौकडिया छन्द  जीती बाजी कौ मैं हारा , बनता कौन सह

चौकडिया छन्द 

जीती बाजी कौ मैं हारा , बनता कौन सहारा ।
जिनको दया धर्म सिखलाया , करता वही किनारा ।।
अपनी असफलताओं को मैं , फिर से आज विचारा ।
आशा मन की दूर हटाकर , किस्मत को ललकारा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौकडिया छन्द 

जीती बाजी कौ मैं हारा , बनता कौन सहारा ।
जिनको दया धर्म सिखलाया , करता वही किनारा ।।
अपनी असफलताओं को मैं , फिर से आज विचारा ।
आशा मन की दूर हटाकर , किस्मत को ललकारा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर
चौकडिया छन्द 

जीती बाजी कौ मैं हारा , बनता कौन सहारा ।
जिनको दया धर्म सिखलाया , करता वही किनारा ।।
अपनी असफलताओं को मैं , फिर से आज विचारा ।
आशा मन की दूर हटाकर , किस्मत को ललकारा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौकडिया छन्द 

जीती बाजी कौ मैं हारा , बनता कौन सहारा ।
जिनको दया धर्म सिखलाया , करता वही किनारा ।।
अपनी असफलताओं को मैं , फिर से आज विचारा ।
आशा मन की दूर हटाकर , किस्मत को ललकारा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर