मैं समंदर, मैं धरती के दो तिहाई हिस्से में पाया जाता हूँ, शांतचित्त मेरी प्रकृति, मैं पारावार महासागर कहलाता हूँ। सभी नदियों का हूँ संगम, मैं माणिक मोतियों का दाता हूँ, मैं जलचरों को शरण देता, प्राकृतिक संतुलन भी बनाता हूँ। मैं व्यापार का माध्यम, प्राकृतिक संसाधनों का खज़ाना हूँ, देशों के चौहद्दी का सूत्रधार, विकसित देशों का पैमाना हूँ। #Contest11 (Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 चार से छह पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,