मन भीगी हुई कली सा तुम्हारे दूर जाते हि दुर्लभ सा मंडरता मेघ बन भरमाया सा ढयोडी पर बोता आशा आँगन में गाड़ता निराशा घर ना हुआ चौराहे सा भित्तर स्मृतियों में बावला सा फुलवारी में पतझड़ सा और कुछ नहीं बस घोर निराशा , ©Kavitri mantasha sultanpuri #निराशा #KavitriMantashaSultanpuri