बैठे थे राजन कई सीता स्वयंवर में, मगर तोड़ न सके वे शिव-धनुष टूट गये वे अपने ही घमंड में, और जब अवसर मिला 'रघुकुल' के 'दीपक' को चढ़ा प्रत्यंचा धनुष की स्वकर्ण तक पल में तोड 'शिवधनुष' और भा-गये सीता मन को फिर अवसर मिला मां-सीता को उनके "स्वयं-वर" चयन को......✍️💕💕💝💕💕🙏🙏 ©Vinay Kumar #विनय@शायरी