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कुछ ठीक नहीं है, कुछ कम सा है, खुशी भी है, फिर भी

कुछ ठीक नहीं है, कुछ कम सा है, 
खुशी भी है, फिर भी गम सा है। 
बेवजह बेबसी घेरी रहती है, 
सवालों के बीच में जवाब ढूंढती है, 
तरह तरह के सोच बादलों की तरह चल‌ रहे हैं, 
कुछ ऐसा अंदर मौसम सा है।
अंदाज़ा कुछ और है, अंदाज़ कुछ और, 
उम्मीद कहीं और है, मंज़िल कहीं और। 
जज़्बात खुद अपना रास्ता नहीं निकाल रहे, 
दिल की चाल का हाल कुछ मद्धम सा है। 
कैसी बेवकूफी होती है, अपनी ही बात न कह पाना, 
कैसा जाहिलपन होता है, अपने आप को न पढ़ पाना। 
एक रात है, कुछ अल्फ़ाज़ है और हम है, 
काग़ज़ पर लिखा हुआ हर वाकया थोड़ा मरहम सा है।

©Ananta Dasgupta #anantadasgupta #Pinterest #letters #selflove #understand #thepain
कुछ ठीक नहीं है, कुछ कम सा है, 
खुशी भी है, फिर भी गम सा है। 
बेवजह बेबसी घेरी रहती है, 
सवालों के बीच में जवाब ढूंढती है, 
तरह तरह के सोच बादलों की तरह चल‌ रहे हैं, 
कुछ ऐसा अंदर मौसम सा है।
अंदाज़ा कुछ और है, अंदाज़ कुछ और, 
उम्मीद कहीं और है, मंज़िल कहीं और। 
जज़्बात खुद अपना रास्ता नहीं निकाल रहे, 
दिल की चाल का हाल कुछ मद्धम सा है। 
कैसी बेवकूफी होती है, अपनी ही बात न कह पाना, 
कैसा जाहिलपन होता है, अपने आप को न पढ़ पाना। 
एक रात है, कुछ अल्फ़ाज़ है और हम है, 
काग़ज़ पर लिखा हुआ हर वाकया थोड़ा मरहम सा है।

©Ananta Dasgupta #anantadasgupta #Pinterest #letters #selflove #understand #thepain