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ईश्क के आगाज़ में, मौसम की तरह हम बदलने लगे है नही

ईश्क के आगाज़ में, मौसम की तरह हम बदलने लगे है
नही थी, सुध-बुध आज हम किसी के लिए संवरने लगे है। ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें। 💐

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।
ईश्क के आगाज़ में, मौसम की तरह हम बदलने लगे है
नही थी, सुध-बुध आज हम किसी के लिए संवरने लगे है। ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

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