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इन काली अंधेरी रातों में, दिल धड़क रहा उनकी यादों

इन काली अंधेरी रातों में,
दिल धड़क रहा उनकी यादों में।

कभी तो मनमीत आएंगे,
लगी दिल में आग बुझाएंगे।

चिराग-ए-दिल यूं नहीं बुझा करते हैं,
आपकी याद में दिन-रात तड़फा करते हैं।

मन ही मन में स्वयं से 
बात किया करते हैं,

इस बेदर्द जमाने से
अकेले में डरा करते हैं।

ये तन्हाइयां बड़ा सताती है,
ये रातें यूं ही आंखों ही आंखों में गुजर जाती है।

जब-जब याद पिया की आती है,
आंखों से नींद गायब हो जाती है।

क्या कसूर है मेरा जरा तू बतलाना,
आकर एक बार हौंसला बढ़ाना।

दिल में तेरे नाम का दीया जलाए हुए हैं,
प्यार में तेरे लिए ही नजरें झुकाए हुए हैं।

©Shishpal Chauhan
  # अंधेरी रातों की तड़फ

# अंधेरी रातों की तड़फ #कविता

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