बाँध लेंगे क्या तुझे यह मोम के बन्धन सजीले? पथ की बाधा बनेंगे तितलियों के पर रँगीले? हार भी तेरी बनेगी मानिनी जय की पताका, राख क्षणिक् पतंग की है अमर की निशानी! है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियाँ बिछाना! जाग तुझको दूर जाना! - महादेवी वर्मा . ©Arpit Mishra चिर सजग आखें उन्नीदी आज कैसा व्यस्त बाना, जाग तुझको दूर जाना जाग तुझको दूर जाना ।। #standout