ख्वाब मेरे बस ख्वाब नहीं, उम्मीद है कितनी आँखो के। आंधी में भी जो झुके नहीं, ये पत्ते हैं उन शाखो के। अरमान हैं माँ की आँखों के, जो गिरवी है बरसों से। वो आस लगाए बैठी है, इनके पूरे होने की अरसों से। पथ में कितनी भी बाधाएं हों, मुझको बस चलते जाना है। ख्वाब मेरे बस ख्वाब नहीं, ये कितनों का ठिकाना है। नियति जो मूक बैठी है, ये उनकी आवाज़ है। ये अलंकार नहीं दो पैसो की, ये पिता के सर का ताज है। पग मेरे ये उलझे ना, इन अपमानित बातों में। ख्वाब मेरे बस ख्वाब नहीं, ये प्रभा है कितनी रातों में। टूटी हुई हिम्मत के, हाथों में तलवार सी है। लोकाअपवाद की ज्वाला में प्रेम सुधा की वार सी है। कितने भी महीधर खड़े रहें, जीवन तो बस एक धारा है । ख्वाब मेरे बस ख्वाब नहीं, झुके कंधों का सहारा है। ©Neha Singh #PoetInYou ख्वाब नहीं बस ख्वाब हैं मेरे! #love #shayari #poem #story #kavita #nojohindi #sapne #reality #lovequotes