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White हिफ़्ज़ायत किसी कुहन-ए-दास्तान-ओ-क़िस्से की ब

White हिफ़्ज़ायत किसी कुहन-ए-दास्तान-ओ-क़िस्से की बस...

शराब-ए-मरीज़, "बे-करा" मुन्महिक अपने जाम से नहींफ़, 
बरकतों का ना-समझा, उन्माद अपने नशे में मसरूफ़ बस!

उसने कभी ना की होगी बहबुद पर इस्तिफ़ादा इम्वकान भी, 
मुसल्लत ही उसपे सागर-ए-यार की जुल्मी तस्वरीब बसा

सरपरस्त, ना था कोई इयादत, हम-नवाई बना बैठा जिससे, 
उसी में तहफ्फज़-ए-हमराज़ रहा तमाश-बीन चन कर बसा

©Viraaj Sisodiya
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