।।मेरी मैया भोली-भोली।। कभी भी उफ ना बोली। न तिल भर ही है डोली। पंख समेटे गुप-चुप जीती मेरी मैया भोली-भोली। माँ मेरी बड़ी श्रमजीवी । कभी बहू तो कभी बीवी। मोल कभी न चुका सकूं मैं अमीर हम, खुद झेली गरीबी। तप का समय खत्म हुआ । भगवन ने पूरी की है दुआ। भाईयों की छत्रछाया में जैसे नव-जीवन शुरू हुआ। यूँ ही प्रसन्न तुम रहो सदा। साया हमपर तेरा रहे सदा। खुशहाली के खुश साए में पति संग तंदरुस्त रहो सदा। ।।मुक्ता शर्मा ।। #hindipoetry #musafirparinde #हिंदीकविता #माँ #mother #love