बिना स्वच्छता सुंदरता का मोल नहीं, ज्ञान बिना जीवन लगता अनमोल नहीं, तार्किकता बतलाती है मन की मेधा, बिना आचरण नाम का बजता ढोल नहीं, ज्ञानवान अनुभव से करते निस्तारण, किंतु कुतर्की कहते धरती गोल नहीं, प्यासा और कुआँ दोनों है पास मगर, पानी कैसे मिले हाथ जब डोल नहीं, अज्ञानी से मत उलझो इस दुनिया में, कौन बताएगा उत्तर में झोल नहीं, बिना आवरण के फल कौन खरीदेगा, सड़ जाता है जिसमें रहता खोल नहीं, हाँ और ना के बीच उलझना मत गुंजन, दो पाटों के मध्य यहाँ मंझोल नहीं, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सुंदरता का मोल नहीं#