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कल छिड़ी, होगी ख़तम कल प्रेम की मेरी कहानी, कौन हू

कल छिड़ी, होगी ख़तम कल
प्रेम की मेरी कहानी,
कौन हूँ मैं, जो रहेगी
विश्व में मेरी निशानी?
गर छिपाना जानता तो
जग मुझे साधू समझता,
आज शत्रु मेरा बन गया है
छल-रहित व्यवहार मेरा!
कह रहा जग वासनामय
हो रहा उद्गार मेरा।।।

©Arpit Mishra हरिवंश राय बच्चन
कल छिड़ी, होगी ख़तम कल
प्रेम की मेरी कहानी,
कौन हूँ मैं, जो रहेगी
विश्व में मेरी निशानी?
गर छिपाना जानता तो
जग मुझे साधू समझता,
आज शत्रु मेरा बन गया है
छल-रहित व्यवहार मेरा!
कह रहा जग वासनामय
हो रहा उद्गार मेरा।।।

©Arpit Mishra हरिवंश राय बच्चन
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Arpit Mishra

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हरिवंश राय बच्चन #Poetry