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मैं जैसा कहूं बो बैसा मान लेती है मेरे चेहरे की उद

मैं जैसा कहूं बो बैसा मान लेती है
मेरे चेहरे की उदासी को एक पल में पहचान लेती है
और उससे कहो काली साड़ी में यूं शरमाया न करे
उसकी यही  अदाएं मेरी जान लेती है

©Sanjeev Koli
  #loveshayeripoetry