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न भूलता आसमाँ कभी, मिल्कियत परवाज़ की,

न भूलता आसमाँ कभी,
            मिल्कियत परवाज़ की,
                    गैरमौजूदगी हो बाज़ की,
                             तो बस कौवे उछलते हैं।

                                    - आशीष कंचन

 #sher #writing #poetry
न भूलता आसमाँ कभी,
            मिल्कियत परवाज़ की,
                    गैरमौजूदगी हो बाज़ की,
                             तो बस कौवे उछलते हैं।

                                    - आशीष कंचन

 #sher #writing #poetry